Chhattisgarh

चारागाह विकास के लिए पशुधन और ग्रामीण विकास विभाग मिलकर करेंगे काम

Livestock and Rural Development Department will work together for pasture development

मनरेगा अभिसरण से पशुधन, डेयरी एवं चारागाह विकास के कार्य, केन्द्रीय ग्रामीण विकास तथा पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग ने जारी किए संयुक्त दिशा-निर्देश,राज्य मनरेगा आयुक्त कार्यालय ने कलेक्टरों को जारी किया परिपत्र, मनरेगा कार्यों में पशुधन, डेयरी एवं चारागाह विकास के कार्यों को प्राथमिकता से शामिल करने के निर्देश

रायपुर. 12 अगस्त 2020. गांवों में चारागाह विकसित करने ग्रामीण विकास और पशुधन विकास विभाग मिलकर काम करेंगे। मनरेगा तथा पशुपालन एवं डेयरी विभाग की योजनाओं के अभिसरण से ये कार्य किए जाएंगे। केन्द्रीय ग्रामीण विकास तथा पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा इसके लिए संयुक्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। राज्य मनरेगा आयुक्त कार्यालय ने सभी कलेक्टरों को परिपत्र जारी कर मनरेगा के अंतर्गत चारागाह, पशुधन और डेयरी विकास के कार्यों को प्राथमिकता से शामिल करने के निर्देश दिए हैं।

मनरेगा से अधोसंरचनागत व्यवस्था और हरे चारे का उत्पादन
मनरेगा आयुक्त कार्यालय ने कलेक्टरों को ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देश तथा केन्द्रीय पशुपालन एवं डेयरी विभाग के साथ अभिसरण संबंधी संयुक्त दिशा-निर्देशों की जानकारी देते हुए कहा है कि पशुधन, डेयरी और चारागाह विकास को बढ़ावा देने के लिए मनरेगा के अंतर्गत अनुमेय व्यक्तिमूलक एवं सामुदायिक कार्य लिए जाएंगे। इसके तहत व्यक्तिगत एवं सामुदायिक पशु शेड, बकरी शेड, सुअर शेड और मुर्गीपालन शेड बनाए जा सकेंगे। स्वसहायता समूहों के लिए कृषि उत्पादों तथा सार्वजनिक खाद्यान्न भंडारगृह एवं ग्रामीण हाट निर्माण के काम भी इसमें लिए जा सकते हैं। व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वर्मी कंपोस्ट पिट तथा नाडेप व बर्कली कंपोस्ट पिट भी बनाए जा सकते हैं।

पशुपालन केंद्रों (Livestock Farms) और मवेशी आश्रयगृहों को बढ़ावा देने वहां मनरेगा से सिंचाई के लिए अधोसंरचना तैयार किए जा सकते हैं। पर इन कार्यों में जलापूर्ति के लिए पाइपलाइन नेटवर्क, बोरवेल या ट्यूबवेल के काम मनरेगा से नहीं किए जा सकेंगे। संबंधित तकनीकी विभाग से परामर्श लेकर हितग्राही के या सार्वजनिक जमीन पर चराई-भूमि विकास, चारा वाले वृक्षों या उद्यानिकी पौधों के रोपण, साल भर उगने वाले घास जैसे अजोला, नैपियर, अंजन और फॉक्स-टेल ग्रास तथा पशुओं के खाने योग्य फली वाले पौधे उगाने के काम मनरेगा के तहत लिए जा सकते हैं। इस तरह की गतिविधि एक जमीन पर केवल एक बार ही ली जा सकती है। इनकी खेती के लिए एक बार बीज या थरहा पर खर्च की अनुमति चारागाह भूमि विकास के अंतर्गत दी जा सकेगी।

मवेशी संवर्धन का जिम्मा पशुधन विकास विभाग का, आकांक्षी जिलों में चारागाह विकास के लिए त्रिवर्षीय योजना,पशुपालन को बढ़ावा देने पशुधन उत्पादन, डेयरी विकास, पशुओं की बीमारियों से सुरक्षा व संरक्षण तथा पशुधन व चारा विकास में सुधार से संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी पशुधन विकास विभाग की होगी। विभाग जिला स्तरीय अधिकारियों, दुग्ध संघों, स्वसहायता समूहों तथा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से चर्चा व समन्वय कर मनरेगा के तहत अनुमेय कार्यों के चयन में सहायता करेगी। साथ ही चारागाह विकास को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी सहयोग प्रदान करेगी। पशुपालन और डेयरी विकास के लिए मनरेगा के अंतर्गत निर्मित संसाधनों के सफल उपयोग के लिए पशुधन विकास विभाग पशुपालकों को लिंकेज व वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी। व्यक्तिमूलक और सामुदायिक चारागाह के विकास के लिए पंचायतों का चयन कर उनकी सूची राज्य सरकार और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजेगी।पशुधन विकास विभाग ऐसे हितग्राही किसानों और पशुपालकों की भी पहचान करेगी जो हरे चारे या अजोला की खेती में रुचि रखते हों, किसी दुग्ध संघ के सदस्य हों या जिन्हें पशु शेड की जरूरत हो। वार्षिक कार्ययोजना तैयार करने के लिए यह सूची संबंधित ग्रामसभा को उपलब्ध कराई जाएगी। ग्रामसभा में ही हितग्राहियों का चयन किया जाएगा। सभी आकांक्षी जिलों में से हर वर्ष चारे की कमी वाले 100 ग्राम पंचायतों का चयन कर अगले तीन वर्ष तक के लिए चारागाह विकास के कार्य लिए जाएंगे। गैर-आकांक्षी जिलों के लिए राज्य शासन का पशुधन विकास और ग्रामीण विकास विभाग मिलकर सामुदायिक व व्यक्तिमूलक चारागाहों के विकास की रूपरेखा बनाएंगी।मनरेगा अभिसरण से होने वाले चारागाह, पशुधन और डेयरी विकास कार्यों का समन्वय एवं मॉनिटरिंग अभिसरण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पहले से ही गठित राज्य स्तरीय समन्वय समिति तथा जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में कार्यरत जिला स्तरीय समन्वय समिति द्वारा की जाएगी। मनरेगा आयुक्त कार्यालय ने सभी कलेक्टरों को यह सुनिश्चित करने कहा है कि अभिसरण से लिए जाने वाले कार्य मनरेगा के अंतर्गत अनुमेय हों और उनकी स्वीकृति में सभी जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए।

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