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रक्तदान के हैं इतने फायदे, इन्हें जानकर आप भी करना चाहेंगे रक्तदान

ब्लड डोनेशन में दूसरों के साथ अपना भी है फायदा। इससे तमाम गंभीर बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है। इसके साथ ही यह जरूरतमंदों की जान बचाने में भी है सहायक।

नीतेश वर्मा

ब्यूरो हेड

बहुत से लोगों के मन में ब्लड डोनेशन (रक्तदान) को लेकर दुविधा बनी रहती है। इसलिए लोग अक्सर ब्लड डोनेट करने से कतराते हैं, जबकि हकीकत यह है कि ब्लड डोनेट करने के तमाम फायदे हैं। इससे जहां एक तरफ जरूरतमंद की जान बचाई जा सकती है, वहीं खुद को भी तमाम तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है। यह कहना है इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की झांसी इकाई के अध्यक्ष डा.मनीष जैन का। वह कहते हैं कि ब्लड डोनेट करने के बाद आप पहले की तरह ही कामकाज कर सकते हैं। इससे शरीर में किसी भी तरह की कमी नहीं होती।

ये हैं ब्लड डोनेशन के फायदे

– ब्लड डोनेशन से हार्ट अटैक की आशंका कम हो जाती है। डॉक्टर्स का मानना है कि डोनेशन से खून पतला होता है, जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है।
– एक नई रिसर्च के मुताबिक नियमित ब्लड डोनेट करने से कैंसर व दूसरी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है, क्योंकि यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है।

– ब्लड डोनेट करने के बाद बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है। इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरुस्ती भी मिलती है।
– ब्लड डोनेशन सुरक्षित व स्वस्थ परंपरा है। इसमें जितना खून लिया जाता है, वह 21 दिन में शरीर फिर से बना लेता है। ब्लड का वॉल्यूम तो शरीर 24 से 72 घंटे में ही पूरा बन जाता है।

इसलिए जरूरी है रक्तदान

– ब्लड डोनेट कर एक शख्स दूसरे शख्स की जान बचा सकता है।
– ब्लड का किसी भी प्रकार से उत्पादन नहीं किया जा सकता और न ही इसका कोई विकल्प है।
– देश में हर साल लगभग 250 सीसी की 4 करोड़ यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है, जबकि सिर्फ 5,00,000 यूनिट ब्लड ही मुहैया हो पाता है।
– हमारे शरीर में कुल वजन का 7% हिस्सा खून होता है।
– आंकड़ों के मुताबिक 25 प्रतिशत से अधिक लोगों को अपने जीवन में खून की जरूरत पड़ती है।

इन तथ्यों को भी जानें

– ब्लड देने से पहले छोटा सा ब्लड टेस्ट होता है। इसमें हीमोग्लोबिन टेस्ट, ब्लड प्रेशर व वजन लिया जाता है। ब्लड डोनेट करने के बाद इसमें हेपेटाइटिस बी व सी, एचआईवी, सिफलिस व मलेरिया आदि की जांच की जाती है। इन बीमारियों के लक्षण पाए जाने पर डोनर का ब्लड न लेकर उसे तुरंत सूचित किया जाता है।
– ब्लड की कमी का एकमात्र कारण जागरूकता का अभाव है।
– 18 साल से अधिक उम्र के स्त्री-पुरुष, जिनका वजन 50 किलोग्राम या अधिक हो, वर्ष में तीन-चार बार ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
– ब्लड डोनेट करने योग्य लोगों में से अगर मात्र 3 प्रतिशत भी खून दें तो देश में ब्लड की कमी दूर हो सकती है। ऐसा करने से असमय होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।

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