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बड़ी खबर-छत्तीसगढ़ में एक बार फिर आयुष्मान भारत योजना व डॉक्टर खूबचंद बघेल स्वास्थ्य बीमा योजना में खुला फिर करोड़ों का भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इसमें रेलीगेयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी नियम से छेड़छाड़ कर बदल दिए गए। नियम व शर्तें की धजियां उड़ाकर 250 करोड़ का घोटाला किया गया है।

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर आयुष्मान भारत योजना व डॉक्टर खूबचंद बघेल स्वास्थ्य बीमा योजना में खुला फिर करोड़ों का भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इसमें रेलीगेयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी नियम से छेड़छाड़ कर बदल दिए गए। नियम व शर्तें की धजियां उड़ाकर 250 करोड़ का घोटाला किया गया है।

एक बार भारत देश के स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था अगर केंद्र ₹1 भेजती है तो पहुंचते-पहुंचते 15 पैसा ही पहुंच पाता है और यह आज भी हो रहा है ताजा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वकांक्षी योजना आयुष्मान में 250 करोड़ का घोटाला सामने आया है आप कल्पना करिए जिम्मेदार लोगों को पैसे की भूख इस कदर बढ़ गई है कि नियम कानों को पार्क में रखने में बिल्कुल भी नहीं सकते मामला छत्तीसगढ़ का है आयुष्मान में खुला फिर करोड़ों का भ्रष्टाचार सामने आया ह
रेलीगेयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी फायदा पहुंचाने बदल दिए नियम व शर्तें, 250 करोड़ का घोटाला आया सामने हो गया और किसी को कानोकान खबर नहीं

आयुष्मान भारत योजना और डॉक्टर खूबचंद बघेल स्वास्थ्य बीमा योजना के डायरेक्टर और राज्य नोडल अधिकारी ने लगाया केंद्र और राज्य सरकार को चूना

उपचार में ४५ फीसदी से कम खर्च होने पर बाकी २५० करोड़ लौटाया जाना था, निविदा शर्त में रकम लौटाने वाले क्लॉज नं- ६ को ही हटा दिया गया

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर आयुष्मान भारत योजना व डॉक्टर खूबचंद बघेल स्वास्थ्य बीमा योजना में खुला फिर करोड़ों का भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इसमें
रेलीगेयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी नियम से छेड़छाड़ कर बदल दिए गए। नियम व शर्तें की धजियां उड़ाकर 250 करोड़ का घोटाला किया गया है।

छत्तीसगढ़ में आयुष्मान भारत मिशन के अंतर्गत वर्ष २०१८- १९ में स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से रेलीगेयर हेल्थ इंश्योरेंस कपनी को २५० करोड़ रुपए से अधिक का फायदा पहुंचाया गया है।

प्रीमियम की बकाया राशि लौटाने ऐसा प्रावधान था
केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित माडल टेंडर व मार्गदर्शिका के क्लाज – ६ में कहा गया था कि अदा किए गए प्रीमियम की तुलना में क्लेम रेशियो प्राप्त करने में विफल रहने की स्थिति में बीमा कंपनी को क्लेम रेशियो के प्रतिशत के आधार पर बचत राशि वापस किया जाने का प्रावधान था। प्रशासनिक लागत 10, 12 या 15 प्रतिशत की राशि को काटकर शेष जमा राशि को वापस किया जाना था। यानि ढाई सौ करोड़ बाकी बचने पर करीब १० प्रतिशत की प्रशासनिक लागत काट कर बकाया लौटा देना था। ऐसा नहीं हुआ।

राज्य ने प्रावधान को ही हटा दिया
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वेबसाइट में जारी किए गए निविदा दस्तावेज में इस प्रीमियम वापसी के प्रावधान (क्लॉज ६ को) को ही हटा दिया गया है।  प्रीमियम के रुप में बीमा कंपनी को लगभग 550 करोड़ रुपए ( रुपए 11 सौ प्रति परिवार प्रीमियम की दर से 50 लाख परिवार के लिए ) का भुगतान किया जाना था। जबकि योजना पर बीमा एजेंसी के द्वारा पूरे साल में दो सौ से ढाई सौ करोड़ रुपए का ही भुगतान किए जाने का अनुमान है। जिससे साल भर का क्लैम रेशियो का पचास प्रतिशत से भी कम किया गया था।  एक अनुमान के मुताबिक 550 करोड़ रुपए के प्रीमियम पर इस कपंनी ने 45 प्रतिशत ही खर्च किया गया था, कुछ डाक्यूमेंटेशन चार्ज काटकर शासन को शेष ढाई से तीन सौ करोड़ रुपए बीमा कंपनी को लौटाने थे। शासन व प्रशासन के नुमाइंदों ने माडल टेंडर डाक्यूमेंट्स में इस वापसी वाली कंडिका को ही हटा दिया। इस वजह से हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने शासन को लगभग ढाई सौ करोड़ रुपए वापस नहीं लौटाया है।

संशोधन से पहले के प्रावधान में पचास हजार रुपए से अधिक अतिरिक्त इलाज की जरुरत होने पर क्लैम का भुगतान बीमा कंपनी को किया जाना था। जिसकी प्रतिपूर्ति राज्य नोडल एजेंसी के द्वारा बीमा कंपनी को की जानी थी। जबकि संशोधन के अनुसार पचास हजार रुपए से ज्यादा के इलाज की जरुरत होने पर क्लैम का प्रोसेस बीमा कंपनी के द्वारा किया जाने का था। इसके लिए संबंधित अस्पताल को भुगतान करने के लिए इसे राज्य नोडल एजेंसी के सामने प्रस्तुत करने की बात कही गई थी।  पचास हजार रुपए से अधिक के इलाज के मामलों में इलाज की संपूर्ण राशि का भुगतान राज्य नोडल एजेंसी के द्वारा किए जाने का प्रावधान नहीं था। इसे गलत तरीके से लागू कर बीमा कंपनी को फायदा पहुंचाया गया।

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