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चंद्रयान -2 मिशन की शानदार सफलता, इसरो के चंद्रयान 2 ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह पर की पानी के अणुओं की खोज

चंद्रयान 2 ने चंद्रमा पर हाइड्रॉक्सिल और पानी के अणुओं का लगाया पता

नई दिल्ली: भारत के दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ (Lunar Mission Chandrayaan-2) ने चंद्रमा पर पानी के अणुओं (Water Molecules) की मौजूदगी का पता लगाया है. मिशन के दौरान मिले आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है. चंद्रयान -2 मिशन का ऑर्बिटर वर्तमान में भी वर्तमान में भी चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है, जिसकी बदौलत ही ये आंकड़े मिले हैं.

भारत ने अपने दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ को 22 जुलाई 2019 को चांद के लिए रवाना किया था. ‘चंद्रयान-2’ से भले ही उम्मीद के मुताबिक परिणाम न मिले हों, लेकिन इससे संबंधित यह घटनाक्रम काफी अहम है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार के सहयोग से लिखे गए एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि ‘चंद्रयान-2’ (Chandrayaan-2) में लगे डिवाइस में ‘इमेजिंग इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर’ (आईआईआरएस) नाम का एक डिवाइस भी है जो ग्लोबल साइंटिफिक डेटा प्राप्त करने के लिए 100 किलोमीटर की एक ध्रुवीय कक्षा (Polar Orbit) से संबंधित काम कर रहा है.

ऑर्बिटर अब भी कर रहा है अच्छी तरह काम 

भारत ने अपने दूसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-2’ को 22 जुलाई 2019 को चांद के लिए रवाना किया था. हालांकि, इसमें लगा लैंडर ‘विक्रम’ उसी साल सात सितंबर को निर्धारित योजना के अनुरूप चांद के दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल नहीं रहा जिसकी वजह से पहले ही प्रयास में चांद पर उतरने वाला पहला देश बनने का भारत का सपना पूरा नहीं हो पाया. ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर के भीतर ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर भी था. मिशन का ऑर्बिटर अब भी अच्छी तरह काम कर रहा है और यह देश के पहले चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-1’ को आंकड़े भेजता रहा है जिसने चांद पर कभी पानी होने के सबूत भेजे थे.

काफी महत्वपूर्ण है भविष्य के लिए ये आंकड़े तथा घटनाक्रम 

‘करंट साइंस’ पत्रिका में पब्लिश रिपोर्ट में कहा गया है, ‘आईआईआरएस से मिले शुरुआती डेटा से चंद्रमा पर 29 डिग्री उत्तरी और 62 डिग्री उत्तरी अक्षांश के बीच व्यापक जलयोजन और अमिश्रित हाइड्रोक्सिल (OH) और पानी (H2O) अणुओं की मौजूदगी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है.’ इसमें कहा गया है कि प्लेजियोक्लेस प्रचुर चट्टानों में चंद्रमा के अंधकार से भरे मैदानी इलाकों की तुलना में ज्यादा OH (हाइड्रोक्सिल) या संभवत: H2O अणु पाए गए हैं.‘चंद्रयान-2’ से भले ही उम्मीद के मुताबिक परिणाम न मिले हों, लेकिन इससे संबंधित यह घटनाक्रम काफी मायने रखता है.

 

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