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China New Education Policy: चीन में मासूम बच्चे बनेंगे वामपंथी विचारों की मशीन, मासूमों को माओ के भाषण पढ़ाए जाएंगे. स्कूलों में पढ़ाई जाएंगी सिर्फ वही किताबें, जिन्हें कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों ने लिखा होगा

मासूम बनेंगे वामपंथी विचारों की मशीन, चीन में Jinping लाए नई शिक्षा नीति

बीजिंग: चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने अपने देश की शिक्षा व्यवस्था को बदलना शुरू कर दिया है. ताकि चीन के लोगों को कम्युनिस्ट विचारधारा (Communist Ideology) का गुलाम बनाया जा सके. सबसे पहले चीन की सरकार ने वहां के प्राइवेट स्कूलों को अपने नियंत्रण।

चीन की सरकार के लिए खतरा है स्वतंत्रता

पिछले 3 महीने में चीन के 13 बड़े प्राइवेट स्कूल, सरकारी स्कूलों में बदले जा चुके हैं. चीन में इस समय 1 लाख 90 हजार प्राइवेट स्कूल हैं. जिनमें चीन के 20 प्रतिशत बच्चे पढ़ाई करते हैं. चीन की सरकार चाहती है कि इस साल के अंत तक प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या घटकर 5 प्रतिशत रह जाए. प्राइवेट स्कूलों में तर्क के साथ पढ़ाई होती है और बच्चों को अपने विचार चुनने की स्वतंत्रता होती है. चीन की सरकार को इसमें खतरा दिखाई देता है. वो चाहती है कि स्कूलों में सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा पढ़ाई जाए.

शिक्षा के कारोबार को बड़ा नुकसान

शी जिनपिंग के इशारे पर अब चीन में Online शिक्षा के कारोबार को भी सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिया है. चीन में अब बच्चों को Online शिक्षा देने वाले Private Tutors इसके लिए पैसे नहीं ले सकते. जो बड़े-बड़े Mobile Apps इस क्षेत्र में काम कर रहे थे, उन्हें भी इससे मुनाफा कमाने की इजाजत नहीं होगी.

 

यानी चीन में अब Online शिक्षा Non Profit Basis पर चलेगी. चीन में Online शिक्षा इंडस्ट्री 10 लाख करोड़ रुपये की है, जो अब घटकर सिर्फ 1 लाख करोड़ रुपये की रह जाएगी.

चीन की नई नीति का असर दिखना शुरू

चीन की इस नई नीति का असर दिखना शुरू हो गया है. वहां कि Tancet, Byte Dance और Alibaba जैसी जो कंपनियां Online शिक्षा के क्षेत्र में करोड़ों अरबों रुपये कमा रही थीं, उनके शेयर गिरने लगे हैं और इन कंपनियों ने हजारों कर्मचारियों को निकालना शुरू कर दिया है.

इसके अलावा अब चीन के प्राइमरी स्कूलों में अंग्रेजी विषय की पढ़ाई नहीं होगी. इसकी शुरुआत शंघाई से हुई है. जहां पांचवी कक्षा तक के स्कूलों में होने वाली अंग्रेजी की परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है. इसकी जगह अब इन स्कूलों में सिर्फ चाइनीज भाषा पढ़ाई जाएगी. चीन की सरकार मानती है कि अंग्रेजी पूंजीवादी देशों की भाषा है और इससे चीन की कम्युनिस्ट विचारधारा को नुकसान होता है.

चीन के स्कूलों में अब विदेशी पुस्तकों पर भी प्रतिबंध लग जाएगा. इसकी शुरुआत राजधानी बीजिंग से की गई है. जहां 10वीं तक के स्कूलों में विज्ञान और गणित जैसे विषय विदेशी पुस्तकों से नहीं पढ़ाए जाएंगे. स्कूलों में सिर्फ उन्हीं पुस्तकों को पढ़ाने की इजाजत होगी, जिन्हें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों ने लिखा है या जिन्हें कम्युनिस्ट पार्टी से मंजूरी मिल चुकी है. इसके अलावा बच्चों को स्कूलों में माओ त्से तुंग की लाल किताब भी पढ़ाई जाएगी. जिसमें Communism पर माओ के भाषण लिखे हैं.

इतना ही नहीं चीन ने तय किया है कि स्कूलों के पाठ्यक्रम में पढ़ाए जाने वाले इतिहास को भी फिल्टर किया जाएगा और वही तथ्य पढ़ाए जाएंगे जो कम्युनिस्ट पार्टी को सूट करते हैं. इसकी शुरुआत Hong Kong के स्कूलों से की गई है. जहां बच्चों को ये पढ़ाया जा रहा है कि 1949 में चांग काई शेक के नेतृत्व में चीन की तत्कालीन सरकार ताईवान नहीं गई थी बल्कि ये लोग सिर्फ एक पार्टी के कार्यकर्ता और नेता थे.

शी जिनपिंग की अपनी पार्टी में स्थिति अच्छी नहीं है. उनकी पार्टी में ही उनका विरोध हो रहा है. शी जिनपिंग जानते हैं कि देर सवेर ये विरोध क्रांति में बदल जाएगा और इसकी क्रांति का नेतृत्व हमेशा की तरह छात्र ही करेंगे. इसलिए जिनपिंग स्कूली शिक्षा व्यवस्था को बदलकर क्रांति की संभावनाओं को ही खत्म कर देना चाहते हैं. ठीक वैसे ही जैसे अंग्रेजों ने भारत में किया था.

 

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