Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ विद्युत उत्पादन कंपनी ने अडानी के साथ हुए MDO को RTI में भी देने को नहीं है तैयार, कोयला खनन का करार छिपा रही सरकार, जबकि सूचना आयोग दे चुका है एक आदेश

पिछले दिनों प्रभावित गांवों के 516 लोगों ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ व्यक्तिगत आपत्ति पत्र दाखिल किए हैं।

कोरबा – सरगुजा क्षेत्र : छत्तीसगढ़ में सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो खनन उद्योग से जुड़ी सूचनाओं पर परदादारी जारी है। छत्तीसगढ़ विद्युत उत्पादन कंपनी ने अब गिधमुड़ी-पतुरिया कोल ब्लॉक में खनन के लिए अडानी समूह के साथ हुए करार (MDO) की जानकारी देने से इनकार कर दिया है। वह भी तब, जब राज्य सूचना आयोग ऐसे ही एक मामले में करार की प्रति देने का आदेश दे चुका है।

मामला कोरबा-सरगुजा क्षेत्र में हसदेव अरण्य स्थित गिधमुड़ी-पतुरिया कोल ब्लॉक का है। यह कोल ब्लॉक छत्तीसगढ़ विद्युत उत्पादन कंपनी को आवंटित है। कंपनी ने कोयला खनन के लिए अडानी समूह से करार किया है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने पिछले महीने सूचना का अधिकार कानून (RTI) के जरिए विद्युत उत्पादन कंपनी से कोल ब्लॉक में खनन और विकास के लिए जारी टेंडर दस्तावेज, टेंडर में शामिल होने वाली कंपनियों के नाम और MDO करार की प्रतिलिपि मांगी थी। जवाब में कंपनी ने कहा कि टेंडर में शामिल होने वाली कंपनियों के नाम की जानकारी ले सकते हैं, लेकिन कंपनी MDO की जानकारी नहीं दे सकती।

जन सूचना अधिकारी ने कहा है, यह अनुबंध छत्तीसगढ़ विद्युत उत्पादन कंपनी और मेसर्स गिधमुड़ी-पतुरिया कोलियरी प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुआ है। कंपनी से जानकारी देने के लिए सहमति मांगी गई थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया है। ऐसे में MDO से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराना संभव नहीं है।

आलोक शुक्ला ने कहा, बिजली कंपनी के अफसर कानूनों की भी अनदेखी कर रहे हैं। गारे-पेलमा कोल ब्लॉक के मामले में राज्य सूचना आयोग 2019 में MDO की प्रतिलिपि देने का आदेश दे चुका है। एक मामले में आदेश होने के बाद यह बाद के लिए नजीर होती है, लेकिन विद्युत वितरण कंपनी इसकी अनदेखी कर अडानी के साथ करारा छिपाने की कोशिश कर रही है। आलोक शुक्ला ने कहा, वे अपील की तैयारी कर रहे हैं।

गारे-पेलमा मामले में सूचना आयोग ने क्या कहा था?

मई 2019 में आलोक शुक्ला की ही अपील पर राज्य सूचना आयोग ने गारे-पेलमा कोल ब्लॉक का MDO नि:शुल्क देने का आदेश दिया था। इस आदेश में आयोग ने कहा था, MDO अनुबंध से संबंधित जानकारी सूचना के अधिकार के तहत प्रदान की जा सकती है। नैसर्गिक संपदा से संबंधित होने की वजह से यह जानकारी जनहित में है। आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले का भी उल्लेख किया था, जिसमें कहा गया कि देश की जनता को प्रत्येक सार्वजनिक कार्य को जानने का अधिकार है। वह सब कुछ जो सार्वजनिक रूप से उनके लोक पदाधिकारियों द्वारा किया जाता है। जनता प्रत्येक सार्वजनिक लेनदेन के विवरण और उसके असर को जानने की भी हकदार है।

बड़े वन क्षेत्र का होगा नुकसान 

कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा तहसील में प्रस्तावित गिधमुड़ी-पतुरिया कोल ब्लॉक हसदेव अरण्य का हिस्सा है। यह बांगों बांध के जल ग्रहण क्षेत्र में आता है। 1466.839 हेक्टेयर के इस कोल ब्लॉक में केवल 285.081 हेक्टेयर ही गैर वन क्षेत्र में आता है। शेष पूरा इलाका वन क्षेत्र है। बताया जा रहा है, इस परियोजना से उस क्षेत्र के बड़े वन क्षेत्र का नुकसान होगा।

जमीन अधिग्रहण के लिए विवादित कानूनों का सहारा

गिधमुड़ी-पतुरिया कोल ब्लॉक के लिए केंद्र सरकार असामान्य विवादित कानून का सहारा ले रही है। कोयला मंत्रालय ने कोयला धारक क्षेत्र (अर्जन और विकास) कानून का इस्तेमाल कर भूमि अधिग्रहण शुरू किया है।

प्रभावित गांवों मदनपुर, पतुरियाडांड, गिद्धमुड़ी और उचलेंगा के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इस महीने गांव के 516 लोगों ने व्यक्तिगत आपत्ति पत्र दाखिल किए हैं।

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