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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम सहित कांग्रेस नेताओं ने ईडी छापे पर रमन को घेरा।

ईडी से किया सवाल : चिटफंड घोटाला और नान घोटाला के आरोपी भाजपा नेताओं पर कब करेंगे छापेमारी?

अक्षय अजय बेहरा (ब्यूरो हेड, छत्तीसगढ़), रायपुर: राजीव भवन में प्रेस कांफ्रेंस में पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम सहित अन्य कांग्रेस नेताओं ने ईडी की कार्रवाई सहित अन्य मुद्दों को लेकर भाजपा पर तीखा हमला बोला। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने साफ कहा कि कांग्रेस अधिवेशन को बाधित करने के लिये केन्द्र की मोदी सरकार ने कई हथकंडे अपनाए। भाजपा की मोदी सरकार ने अधिवेशन को रोकने के लिये जो हथकंडे अपनाया, वैसे हथकंडे तो अंग्रेज भी नहीं अपनाते थे।

मरकाम ने कहा कि कांग्रेस नेताओं के यहां ईडी के छापे मारे गए। हमारे नेताओं को अधिवेशन में आने से रोका गया। अधिवेशन की तैयारी में जुटे कांग्रेस नेताओं को टारगेट किया गया, ताकि अधिवेशन सफल न होने पाए। अधिवेशन में काम करने वाले कारोबारी के यहां भी ईडी वाले गए। उनकी लाखों कोशिशों के बावजूद कांग्रेस का अधिवेशन सफल रहा। मरकाम ने कहा कि देश भर से अतिथि आए और और कांग्रेस के अधिवेशन की तारीफ करके गए। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले कांग्रेस के 58 अधिवेशन हुए। कांग्रेस ने आजादी की लड़ाई के लिये अपने हर अधिवेशन में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ अनेक प्रस्ताव पारित किये। इसके बावजूद अंग्रेजी सरकार ने कांग्रेस के अधिवेशन पर रोक नहीं लगाई। भाजपा की केंद्र सरकार का चरित्र इतना अलोकतांत्रिक है कि वह विपक्ष का अधिवेशन बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। कांग्रेस के अधिवेशन में उठाए गए सवालों का भाजपा और मोदी के पास कोई जवाब नहीं है। अडानी के घोटाले का मोदी के पास कोई जवाब नहीं है। उन्हें बीमार सोनिया गांधी पर छाता लगाए जाने पर आपत्ति है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को अमित शाह सहारा देते है, तो मोदी की बोलती बंद रहती है।

कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा शासनकाल के दौरान अनेकों बड़े-बड़े घोटाले हुए। 36,000 करोड़ का नान घोटाला और 6,000 करोड़ रू. से अधिक का चिटफंड घोटाला काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। नान घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके परिजनों के संलिप्त होने के प्रमाण नान डायरी में आए। नान डायरी में सीएम सर, सीएम मैडम, ऐश्वर्या रेसीडेंसी वाली मैडम का अनेक बार उल्लेख हुआ है। भाजपा शासनकाल में हुए हजारों करोड़ों के ‘‘नॉन घोटाले’’ की जांच के लिये ई.डी. द्वारा वर्ष 2019 में प्रकरण दर्ज किया गया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा रमन सिंह व उनके परिवार की ‘‘नॉन घोटाले’’ में शामिल होने और लाभान्वित होने के सबूत कई माह पहले ही दिये जा चुके हैं। इसी तरह वर्ष 2008 से 2018 के बीच पूरे राज्य में रमन सरकार के संरक्षण में लाखों गरीब परिवारों के खून-पसीने की जमा पूंजी चिटफंड कंपनियों द्वारा लूटी गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह, मंत्री गण, रमन सिंह के सांसद पुत्र अभिषेक सिंह, उनकी पत्नी वीणा सिंह ने इन चिटफंड कंपनियों के दफ्तरों का उद्घाटन किया था। उनकी ब्रांडिंग से प्रभावित होकर लोगों ने चिटफंड कंपनियों में अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा निवेश किया था। प्रभावशाली भाजपा नेताओं के लुटेरे चिटफंड कंपनियों को संरक्षण दिये जाने की प्रमाणित शिकायत भी मुख्यमंत्री द्वारा की गई है। वर्षों तक राज्य में ठगी और लूट का तांडव मचाने वाली चिटफंड कंपनियों को गरीबों से पैसे लूटने की छूट के बाद उनको राज्य से भागने पर रमन सरकार के आंख मूंदे रहने से बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है?, विगत दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस के महाधिवेशन में बाधा उत्पन्न करने के उद्देश्य से ईडी द्वारा कांग्रेस के प्रमुख पदाधिकारियों के घर छापेमारी की कार्यवाही की गई। उससे पूरे राज्य की जनता में रोष व्याप्त है। उन्होंने सवाल किया कि क्या ईडी भाजपा की अनुषांगिक संगठन है। अगर ऐसा नहीं है तो ‘‘नॉन घोटाले’’ और चिटफंड घोटाले में शामिल भाजपा नेताओं के विरुद्ध शीघ्र प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।  क्या भाजपा के आकाओं ने ईडी को सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध के उद्देश्य से निर्दोष कांग्रेस कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने के लिए अधिकृत किया है।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अगर विभिन्न मामलों में दोषी भाजपा नेताओं के विरुद्ध शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा ईडी कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना आरंभ किया जाएगा और हमारा धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक नान घोटाले और चिटफंड घोटाले के भाजपा नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होगी।

महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि विगत 8 माह से छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को बदनाम करने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार व राज्य की भाजपा के ईशारे पर ई.डी. द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य में 2020 से 2022 के बीच 600 करोड़ के कोयला घोटाला होने की काल्पनिक कहानी बनाई गई है। ई.डी. की कहानी में कथित “कोल स्कैम“ का सूत्रधार सूर्यकांत तिवारी को बताया गया है और छल-कपट- बलपूर्वक यह सिद्ध करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। ई.डी. की कहानी में सच्चाई होती तो उनके अधिकारियों को थर्ड ग्रेड हथकन्डे नहीं अपनाने पड़ते। ई.डी. अधिकारियों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद भी अभी तक फर्जी कहानियों को प्रमाणित नहीं किया जा सका है। इसी हताशा में ई.डी. द्वारा अब कांग्रेस के नेताओं को टार्गेट कर उनके विरूद्ध झूठे प्रकरण बनाए जा रहे हैं। पूरे छत्तीसगढ़ राज्य की जनता यह जानती है कि सूर्यकांत तिवारी के डॉ. रमन सिंह और राज्य भाजपा के प्रमुख नेताओं से घनिष्ट संबंध रहें है और उन्ही के शासन में सूर्यकांत तिवारी ने कोयला व्यापार शुरू किया। सूर्यकांत तिवारी और जोगेन्दर द्वारा वर्ष 2010 से अडानी समूह के कोल व्यापार से संबंध होकर उनके लिये कोल व्यापार आरंभ किया। पिछले 3-4 वर्षों में अडानी समूह की भागीदारी में लगभग 100 मीट्रिक टन कोयले का परिवहन सूर्यकांत व जोगेन्दर द्वारा किया गया। इससे सूर्यकांत तिवारी, जोगेन्दर और अडानी समूह को 100-100 करोड़ का लाभ हुआ। अडानी समूह को उनके लाभ के हिस्से की पूरी राशि सूर्यकांत व जोगेन्दर द्वारा हवाले के माध्यम से भेजी गई है। आश्चर्य की बात है कि ई.डी. और आयकर अधिकारियों द्वारा अडानी समूह के संचालकों के विरूद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अडानी समूह के बड़े पदाधिकारी अमन सिंह और उनके आका डॉ. रमन सिंह के ईशारे पर ये गंभीर षडयंत्र ई.डी. के अधिकारियों द्वारा किया गया है। यह जगजाहिर है कि वर्ष 2003 तक डॉ. रमन सिंह मध्यवर्गीय परिवार से थे। उनके पास कुछ पैतृक संपत्ति के अतिरिक्त अन्य कोई संपत्ति नहीं थी । 2018 के विधानसभा चुनाव के लिये डॉ. रमन सिंह द्वारा दाखिल शपथ पत्र में उनकी संपत्ति वर्ष 2008 में 1.04 करोड़ और 10 वर्ष बाद अर्थात 2018 में 10.72 करोड़ रूपये होना दर्शाया गया है। रमन सिंह बताएं कि उन्होंने क्या व्यवसाय किया था, जो इतनी संपत्ति बढ़ गई।

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