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पूरे 202 दिन बाद कोरोना से जीती जंग:दाहोद रेलवे हॉस्पिटल में चल रहा था पीड़िता का इलाज, परिवारवाले खो चुके थे ठीक होने की उम्मीद

नीतेश वर्मा

ब्यूरो हेड

गुजरात के दाहोद में एक महिला कोरोना वायरस को मात देकर हॉस्पिटल से 202 दिनों के बाद डिस्चार्ज हुई है। 45 वर्षीय यह महिला इस साल 1 मई को कोरोना से संक्रमित हुई थी। दाहोद रेलवे हॉस्पिटल में भर्ती कोरोना पीड़िता के इलाज में डॉक्टर्स लगातार लगे हुए थे। अस्पताल में 202 दिन इलाज के बाद महिला के पूरी तरह से स्वस्थ होने पर शुक्रवार को उन्हें डिस्चार्ज किया गया।

 

गीता धार्मिक नाम की इस महिला के पति त्रिलोक धार्मिक दाहोद में रेलवे कर्मचारी हैं। त्रिलोक ने कहा कि इलाज के दौरान उन्हें वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। इलाज के दौरान उनकी तबीयत में कभी सुधार तो कभी गिरावट होती रही।

भोपाल से लौटने के बाद हुईं कोरोना संक्रमित
त्रिलोक ने कहा, “मेरे ससुर का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। हम 23 अप्रैल को भोपाल गए थे। 25 अप्रैल को दाहोद लौटने के बाद मेरी पत्नी में कोरोनावायरस के लक्षण दिखाई दिए और 1 मई को उनका टेस्ट पॉजिटिव आया। जब उनका ऑक्सीजन लेवल नीचे चला गया और बुखार बढ़ गया तो उन्हें 1 मई की रात को दाहोद के रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया।”

 

करीब 2 महीने तक वेंटिलेटर पर रहीं
6 मई से गीता की हालत और बिगड़ने लगी। उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत थी। उन्हें 7 मई से 23 मई तक वडोदरा के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था। डॉक्टरों से सलाह के बाद उनके पति ने उन्हें वापस दाहोद अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला किया, जहां उन्हें 24 मई को लाया गया। दाहोद अस्पताल में वह करीब दो महीने तक वेंटिलेटर पर और एक महीने के लिए बीआईपीएपी पर रहीं।

 

गीता के स्वस्थ होने की उम्मीद नहीं बची थी
गीता के ठीक होकर घर लौटने से परिवार वाले बहुत खुश हैं। उनके पति ने कहा कि इतने ज्यादा दिन बीत जाने के बाद हमें उम्मीद नहीं थी कि वह स्वस्थ होंगी। खैर, गीता ने हमें गलत साबित किया और महामारी को मात देने में सफल रहीं।

 

अस्पताल ने दिए फूल, पड़ोसियों ने फोड़े पटाखे
अस्पताल के कर्मचारियों ने गीता के डिस्चार्ज होने पर महामारी से इस जोरदार संघर्ष के लिए फूल देकर उनका सम्मान किया। घर पहुंचने के बाद उनके पड़ोसियोंं ने पटाखे फोड़कर और मिठाई बांटकर गीता की वापसी का जश्न मनाया। गीता ने कहा,’मैं दाहोद रेलवे अस्पताल के कर्मचारियों की शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मेरे कठिन समय में भी मेरा साथ नहीं छोड़ा।

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