ChhattisgarhIndiaNew Delhi

पद्म पुरस्कार से सम्मानित हुए 106 हस्तियां।

छत्तीसगढ़ से गायिका उषा बारले समेत 3 लोगों को मिला सम्मान।

अक्षय अजय बेहरा (ब्यूरो हेड, छत्तीसगढ़), नई दिल्ली: राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को 106 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने पहला सम्मान आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोषी को दिया। उनकी बेटी ने पिता को मिला पद्म विभूषण सम्मान ग्रहण किया। इसके बाद बिजनेसमैन कुमार मंगलम बिड़ला को व्यापार और उद्योग क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। बिड़ला परिवार में पद्म पुरस्कार पाने वाले कुमार मंगलम चौथे व्यक्ति बन गए हैं। इससे पहले उनकी मां राजश्री बिड़ला को पद्म भूषण, दादा बसंत कुमार बिड़ला को पद्म भूषण और उनके परदादा घनश्याम दास बिड़ला को पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

पद्म पुरस्कार पाने वाले 106 लोगों में 19 महिलाएं भी हैं। 6 लोगों को पद्म विभूषण, 9 को पद्म भूषण और 91 को पद्मश्री दिया गया है। इन पुरस्कारों के नामों का ऐलान 25 जनवरी को किया गया था।

छत्तीसगढ़ की पंडवानी गायिका ऊषा बारले ने प्रदेश का मान बढ़ाया है। पद्म पुरस्कार के दौरान दरबार हॉल में कुछ ऐसा किया कि पूरा हॉल तालियों से गड़गड़ा उठा। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी प्रणाम करके अभिवादन किया. इस दौरान छत्तीसगढ़ की पंडवानी गायिका ऊषा बारले के चेहरे पर अलग ही मुस्कान झलक रही थी। राष्ट्रपति ने पद्म पुरस्कार से पंडवानी गायिका ऊषा बारले सम्मानित किया।

दरअसल, पंडवानी गायिका ऊषा बारले राष्ट्रपति के हांथों सम्मान लेने जा रहीं थीं। इस दौरान ऊषा बारले ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को साष्टांग प्रणाम किया, जिसे देख हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। पंडवानी गायिका ऊषा बारले के चेहरे पर खुशियां झलक रही थी। इस दौरान पीएम मोदी, अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्री और हस्तियां शामिल रहीं।

बालोद जिला निवासी छत्तीसगढ़ी नाट्य नाच कलाकार डोमार सिंह कुंवर ने बालोद जिला सहित पूरे राज्य को गौरवान्वित किया है। बालोद जिले के ग्राम लाटाबोड़ निवासी छत्तीसगढ़ी नाट्य नाच कलाकार डोमार सिंह कुंवर को कला के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

कांकेर जिले से सटे गोविंदपुर गांव के अजय कुमार मंडावी का पूरा परिवार कला और शिल्प से जुड़ा है। शिक्षक पिता आरपी मंडावी मिट्टी की मूर्तियां बनाते हैं। मां सरोज मंडावी पेंटिंग करती हैं। भाई विजय मंडावी एक अभिनेता हैं। लकड़ी की नक्काशी में उन्हें महारत हासिल थी। वे लकड़ी पर धार्मिक ग्रंथ, साहित्यिक कृतियाँ आदि उकेरते हैं।

Related Articles

Back to top button