
राजीव चौबे
भारतीय राजनीति में अब व्यपाक परिवर्तन आ गया है,राजनेताओं को भाषा शैली से लेकर उनके काम करने के तरीके पर सवाल उठते रहते है, आज हम मिलवाने जा रहे है ऐसे राजनेता से जिसका जन्म तो राजमहलों में हुआ पर जनता की सेवा के उद्देश्य ने उन्हें गाँव की मिट्टी के साथ जनता की सुख दुख का साथी बना दिया,वो चाहते तो राजशी जीवन व्यतीत कर सकते थे पर उन्होंने जनता की सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया, उन्हें जनता प्यार से टीएस बाबा कहती है उनका पूरा नाम त्रिभुवन शरण सिहदेव है
हम बात कर छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय जननेता टीएस सिहदेव की ।
त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव यूं तो बड़ी रियासत के मालिक हैं। लेकिन इतनी बड़ी हस्ती होने के बाद भी वे सिंपल रहना पसंद करते हैं। यानी टीएस सिंहदेव लाइफस्टाइल बेहद सिंपल है।
ये अक्कसर सादे कुर्ते-पायजामे में नजर आते हैं।
#विनम्रता ऐसी की विरोधी भी है कायल
टीएस बाबा की विनम्रता इनकी पहचान है पार्टी के बाहर विरोधी भी इनकी विनम्रता के कायल है
अक्कसर भारतीय राजनीति की तासीर रही है कि नेता मंत्री बनने के बाद अक्कसर जनता से दूरी बन जाती है पर टीएस सिहदेव के साथ ऐसा नही उनके मोबाइल में रोज सैकडो काल आम जनता के आते है जिसको बाबा साहब खुद रिसीव करते है और उतनी सजगता विनम्रता से उनकी समश्या को सुनते है और समाधान करवाते है, टीएस सिहदेव जनता के बीच इनके लोकप्रिय है कि एक झलक पाने और मिलने वालों की कतार लगी रहती है ।
कांग्रेस को नवजीवन दिया
1 नवम्बर 2001 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया जिसके पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजित जोगी बने 2003 में कांग्रेस से सत्ता छीन बीजेपी सत्ता में आसीन हुई डॉ रमन सिंह लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में लगातार 15 साल तक बीजेपी सत्ता में रही, कांग्रेस की स्थिति प्रदेश में लागातर ख़राब हो रही थी,
उस समय टीएस सिहदेव कांग्रेस की खोई हुई जमीन तलाश रहे थे, वो नेता प्रतिपक्ष के रूप में विधानसभा में लगातार रमन सरकार को घेर रहे थे तो दूसरी ओर सड़क पर सरकार की नीतियों पर आक्रमण तेवर अपनाए हुए थे, इसका परिणाम भी दिखने लगा था लोग कांग्रेस से जुड़ रहे थे ,
चुनावी घोषणा पत्र ने किया कमाल
- 2018 के विधानसभा में चुनावी घोषणा पत्र बनाने की जिम्मेदारी जब राहुल गांधी ने टीएस बाबा को सौपी तो शायद उनको अंदाजा नही रहा होगा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की 15 सालों से खोई हुई तकदीर सावन के बौछारों के जैसे 67 सीट लाकर बीजेपी को 13 सीटो में सिमट देगी ।
पर ये उतना आसान रास्ता नही था 15 सालों से बीजेपी सत्ता में काबिज थी रमन सिंह चाउर वाले बाबा के नाम से लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे और मोदी का चेहरा सोने पर सुहागा था ।
ऐसे हालात में कांग्रेस को फिर जीवित कर सत्ता वापसी करना एक बड़ी चुनोती थी ।
टीएस बाबा के करीबी नेता माने जाने वाले आशिष मोनू अवस्थी ने न्यूज़ नेशनल से बात करते हुए बताया कि घोषणा पत्र बनाना एक बड़ी चुनोती थी चुकी बीजेपी लोक लूू , तो हमारी टीम ने तय किया कि घोषणा पत्र अब जनता के बीच जाकर उनके परेशानी से रुबरु होकर बनाया जाए, हमारी टीम छतीसगढ़ के दुर्गम गाँव तक पहुची महीनों की मेहनत के बाद शहर गाँव व्यपारी कर्मचारियों छात्रों सबकी राय जानने के बाद हम एक ऐसा घोषणा पत्र बनाने में कामयाब हो गए जो सीधा जनता से जुड़ा था, उन्होंने कहा हम जानते थे हम सत्ता में वापसी कर रहे है पर इतनी बड़ी जीत की कल्पना हमने नही किया था ।
बाबा साहब साहब का तूफानी चुनावी दौरा रंग लाया
2018 का विधानसभा चुनाव प्रदेश में एक अलग तरीके से देखा जा रहा था, बीजेपी 15 सालों से सत्ता में काबिज थी थोड़ी एन्टी-इनकम्बेंसी थी पर रमन सिंह लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित हो चुके थे, उनको मात दे पाना उतना आसान नही था ,उस दौर में टीएस सिहदेव ने धुँवाधार तूफानी जनसभा किया एक दिन में कई कई जगह बड़ी छोटी सभाएं ली, उनका काफिला सुबह 7 बजे चालू होता था जो देर रात थमता था, साथ ही उनकी टीम ने सड़क से लेकर सोशल प्लेटफार्म में मुहिम चलाई हुई थी
ऐसी टीम छत्तीसगढ़ में देखने को नही मिलती थी जो इतने ततपरता आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ ऐसा माहौल बनाया जिससे लोग कांग्रेस पर फिर से विस्वास करने लगे ।
पूरे छत्तीसगढ़ में बाबा का चेहरा ने जादू कर दिया
बाबा साहब ने पूरे छत्तीसगढ़ का तूफानी दौरा किया उनको सुनने भारी भीड़ जमा हो जाया करती थी जिसका फायदा कांग्रेस को मिला ।
आइये बाबा साहब के बारे में कुछ जानकारियां आपको दे देते है
टीएस सिंहदेव का जन्म 31 अक्टूबर 1952 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ था। स्व. मदनेश्वर सरन सिंह देव के घर जन्मे टीएस सिंहदेव ने हमीदिया कॉलेज भोपाल से इतिहास में एमए स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की थी। टीएस सिंहदेव के पिता राजा हुआ करते थे, इनकी माता का नाम राजमाता देवेंद्रकुमारी सिंह देव है। टीएस सिंहदेव के का नाता शल्युजा शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं और वे इस राजघराने के 118 वें राजा हैं।
टीएस सिंहदेव का नाता छत्तीसगढ़ की राजनीति से है। टीएस सिंहदेव ने 1983 में अंबिकापुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष चुने गए थे यहीं से इनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी।
टीएस सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ राज्य में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) पार्टी को मजबूत करने का काम किया। कांग्रेस ने 2013 चुनाव में हार के बाद टीएस सिंहदेव को विधायक दल का नेता बनाया था।