अक्षय अजय बेहरा (ब्यूरो हेड, छत्तीसगढ़), नई दिल्ली: दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति मामले में जमानत के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनकी याचिका पर कोर्ट ने मामले को सुनने से इनकार करते हुए सिसोदिया को हाई कोर्ट जाने के लिए कहा है। आप नेता मनीष सिसोदिया फिलहाल सीबीआई की हिरासत में हैं। CJI ने कहा कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट से जमानत और दूसरी राहत मांग रहे हैं। आपने अर्णब गोस्वामी और विनोद दुआ केस का हवाला दिया पर वह इससे बिल्कुल अलग थे। आपको निचली अदालत से बेल लेनी चाहिए, एफआईआर रद्द करवाने के लिए हाई कोर्ट जाना चाहिए।
“सीधे सुप्रीम कोर्ट इसे नहीं सुन सकता”
सिसोदिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने कहा कि मुझे सिर्फ 3 मिनट बोलने दीजिए। मनीष सिसोदिया को सिर्फ 2 बार पूछताछ के लिए बुलाया गया। गिरफ्तारी से पहले अरणेश कुमार मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं हुआ, न मुझ पर सबूत से छेड़छाड़ का आरोप है, न मेरे भागने का अंदेशा था। सीजेआई ने कहा कि यह बातें सही हो सकती हैं, लेकिन सीधे सुप्रीम कोर्ट इसे नहीं सुन सकता।
“हाई कोर्ट में जाएं, हम नहीं सुनेंगे”
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि मामला दिल्ली का है, इसका मतलब यह नहीं कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट आ जाएं। सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकारों का संरक्षक है। सीजेआई ने पूछा कि केस किस धारा में है। सिंघवी ने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 7 का है। सीजेआई ने कहा कि आप जो भी कह रहे हैं, वह हाई कोर्ट को कहिए। हम नहीं सुनेंगे।
बता दें आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार को लेकर गिरफ्तार किए गए मनीष सिसोदिया को दिल्ली की एक विशेष अदालत ने सोमवार को पांच दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उचित व निष्पक्ष जांच के लिए आवश्यक है कि उनसे पूछे गए सवालों के उचित और वैध जवाब मिलें और इस अदालत की राय में यह आरोपी की हिरासत में पूछताछ से ही संभव है।