बिग ब्रेकिंग- छत्तीसगढ़ प्रदेश में कोरोना से 13558 जानें गईं

डेथ ऑडिट रिपोर्ट से डेढ़ हजार मौतों का अंतर खत्म,

नीतेश वर्मा 

ब्यूरो हेड 

 

कोरोना काल मे बहुत से लोगो ने अपने अपनों को खो दिया, किसी बच्चे अनाथ हो गए तो किसी का पूरा परिवार उजड़ गया, जो बच गए उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हुई, इस हेतु मुआवजे की मांग रखी गई ,जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार से मौत के आंकड़ों की जानकारी मांगी गई, परन्तु हर प्रदेश में मौत के आकंड़े सही नही पाए गए, छत्तीसगढ़ प्रदेश में डेथ ऑडिट करवाई गई जिसके अनुसार 13558 जानें प्रदेश में गई ।

 

जिलों ने मौतों के आंकड़े देने में देर की, इसलिए आया था अंतर

 

प्रदेश में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान जिलों और राज्य के कोरोना कमांड व कंट्रोल सेंटर की ओर से दिए जा रहे कोरोना मौत के आंकड़ों में जो अंतर आ रहा था, बारीकी से पड़ताल के बाद और जरूरत पड़ने पर कुल मौतों में वह संख्या जोड़कर अंतर खत्म कर दिया गया है। डेथ ऑडिट कमेटी ने दो माह तक चली पड़ताल के बाद तय कर दिया कि शनिवार तक प्रदेश में कोरोना से 13558 जानें गई हैं और अब यह आंकड़ा परफेक्ट है। अब कोरोना से जो भी मौतें होंगी, उन्हें इसी में जोड़ा जाएगा।

सर्वाधिक कोरोना मौतों वाले जिलों रायपुर में कोरोना मौत के आंकड़ा अब तक 3139 रहा है। इसमें भी कोई पुराना आंकड़ा एडजेस्ट नहीं होगा। इसी तरह अधिक मौत वाले अन्य जिलों जैसे दुर्ग 1796, बिलासपुर 1207 आदि में भी मौत के अब नए आंकड़े ही जुड़ेंगे। अर्थात कि कोरोना मौत के आंकड़ों में जिलों के सीएमओ कार्यालय की ओर से दिए जा रहे आंकड़ों और स्टेट डेटा बुलेटिन के आंकड़ों में अब पुराने आंकड़ों का एडजस्टमेंट नहीं होगा। कुल मिलाकर पिछला भूला चुका पुराना हिसाब किताब अब पूरा हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने लगभग दो माह पहले नए सिरे से डेथ ऑडिट शुरु किया था। डेथ ऑडिट में पहली और दूसरी लहर के दौरान पुरानी से पुरानी मौत के आंकड़े भी इस ऑडिट के लिए जिलों से मंगवाए गए। ज्यादातर जिलों की ओर से डेथ इनवेस्टीगेशन फॉर्म के साथ मौत के अंतर से जुड़ी जानकारियां ही नहीं आई। जिन जिलों ने इक्का दुक्का जानकारियां दी वो भी निर्धारित फॉर्मेट पर खरी नहीं उतरी, लिहाजा इस तरह आंकड़ों के अंतर की पूरी कवायद शून्य पर आकर खत्म हो गई है।

डीआई फॉर्म होगा, तभी कोरोना मौत मानी जाएगी
स्वास्थ्य विभाग ने डेथ ऑडिट के दौरान कोरोना मौत के रिकॉर्ड के लिए स्पष्ट नियम बनाया है। जिसके तहत किसी मौत को तब तक कोरोना मौत के रूप में दर्ज नहीं किया जाएगा, जब तक कि डेथ इनवेस्टीगेशन फॉर्म उसके साथ जिले नहीं देंगे। प्रदेश में फिलहाल की स्थिति में बताई जा रही है साढ़े 13 हजार से अधिक मौतों के सभी डेथ इनवेस्टीगेशन फॉर्म भी खंगाल लिए गए हैं। इसलिए भी अब मौत के आंकड़ों के अंतर को शून्य मान लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के मुताबिक जो नई मौत हो रही हैं उनके डेथ इनवेस्टीगेशन के फॉर्म उसी दिन सबमिट करवाए जा रहे हैं। उसके बाद ही संबंधित जिले में मौत के कॉलम में आंकड़ा दर्ज किया जा रहा है।

तीन बिंदुओं पर डेथ ऑडिट जिलों से मांगी जानकारी
प्रदेश में कोरोना से जुड़ी मौत के वास्तविक आंकड़ों के आंकलन के लिए मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर फोकस किया गया। इसमें पहले पुरानी से पुरानी ऐसी मौतें जो किन्हीं कारणों से रिकॉर्ड दर्ज नहीं हो पाई, उनको भी जिलों से मांगा गया। दूसरे बिंदु के तहत आंकड़ों में आ रहे अंतर की जांच के लिए जिलों को एक बार फिर डेथ इनवेस्टीगेशन प्रारुप में जानकारी मंगवाई गई। इसमें मुख्य रूप से मौत की क्या वजह रही, क्या कोरोना डेथ में ये आएगी या नहीं ऐसे सब प्वाइंटर्स भी शुमार किए गए। जिलों में ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौत हुई, इसका ऑडिट भी किया गया। 11 लोगों की टीम ने ऑडिट को लगभग पूरा कर लिया है। जिसमें मुख्य रूप से ये तथ्य उभरकर सामने आया है।

जिलों के आंकड़े गलत निकले
डेथ ऑडिट के दौरान जिलों ने जो कोरोना मौत के आंकड़े दिए वो डेथ इनवेस्टीगेशन के दौरान सही नहीं पाए गए। इनमें घरों में हुई मौत के आंकड़े भी शामिल रहे। कोरोना मौत के लिए जो निर्धारित पैमाने रखे गए थे उसमें कोरोना जांच में पॉजिटिव पाए जाने पर ही मौत को कोविड श्रेणी की डेथ में शामिल किया गया। वहीं अगर कोरोना के साथ कोमॉर्बिडिटी यानी दूसरी गंभीर बीमारियां रहीं तो उन्हें भी अलग-अलग उप श्रेणियों में बांटा गया। ज्यादातर मामलों में डेथ के आंकड़ों के साथ संबंधित के कोरोना पॉजिटिव होने के प्रमाण नहीं मिले। इसलिए इन्हें अलग किया गया।

प्रदेश में कोरोना जांच के जो आंकड़े स्वास्थ्य विभाग ने दिए हैं वही शत प्रतिशत सही हैं। ऑडिट में डेथ इनवेस्टीगेशन के पैमाने पर ये तमाम आंकड़े खरे उतरे हैं। विभाग की ऑडिट टीम अब कोरोना मौत को लेकर एक व्यापक रिसर्च और स्टडी कर रही है।
-डॉ. सुभाष मिश्रा, डायरेक्टर, एपिडेमिक कंट्रोल

 

 

 

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