प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद चुनोतियाँ का अंबार है अरुण साव के सामने दिग्गज नेताओं के सामने क्या स्वतंत्र निर्णय ले पाएंगे?
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद चुनोतियाँ का अंबार है अरुण साव के सामने दिग्गज नेताओं के सामने क्या स्वतंत्र निर्णय ले पाएंगे?
छत्तीसगढ़ में ये एक बड़ा परिवर्तन है,प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर अचानक बिलासपुर सांसद अरुण साव बनना दुसरो के लिए आश्चर्य हो सकता है पर राजनीति को समझने वाले लोग भली भांति जानते थे समझते थे
की भुपेश बघेल जैसे आक्रामक लोकप्रिय मुख्यमंत्री का सामना करने के लिए एक तेजतर्रार प्रदेश अध्यक्ष की आवश्यकता थी, अब अरुण जी कितने कारगर साबित होते है ये वो कुछ समय बाद पता चल जाएगा पर ये निश्चित ह प्रदेश में हाशिये में जा चुकी पार्टी के लिए एक मौका है कि अब जिंदा हुआ जाए, साढ़े तीन साल में बीजेपी न विपक्ष की भूमिका निभा पाई न अपने कार्यकर्तों को जोश भर पाई, पुराने नेताओ की विदाई और नया चेहरा को मौका देने की शुरवात हो गई है ।
अरुण जी के लिए चुनोतियाँ बेहद है सबसे बड़ी चुनोती उन दिग्गज नेताओं को साधने की ह जो पंद्रह वर्ष इस प्रदेश की सरकार चलाये है एक प्रश्न स्वाभाविक रूप से निकलकर आएगा क्या अरुण साव स्वतंत्र निर्णय ले पाएंगे क्या खुद के विवेक से कार्यकारणी का गठन कर पाएंगे, बीजेपी के आपसी नेताओ की गुटबाजी किसी से छिपी नही है। साथ ही मूल कार्यकर्ताओं पर जोश भरने और जान फूंकने की भी है क्योंकि बीजेपी लगातार हाशिए पर चली गई है अरुण साहू से उम्मीदें तो बहुत है ना अब यह तो आने वाला समय बताएं कि यह बताएगा कि वह इस उम्मीदों पर कितने खरे उतरते हैं
पर उम्मीद है वो इन कि चुनोतियाँ का सामना बेहतर तरीके से करेगे ।
साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्षो की भांति मोदी जी के नाम पर निर्भर न रहकर जनता के बीच जायेगे,समझना होगा जनता होशियार ह आप मोदी जी के नाम से लोकसभा तो जीत सकते ह पर विधानसभा आपको आपके कार्य जिताएंगे ।
राजीव चौबे