प्रत्येक जिला मुख्यालय के शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूल के रूप में विकसित किया जाना है, प्रमुख सचिव ने कलेक्टरों से माँगा प्रस्ताव
कलेक्टर्स से कहा गया है, जिस प्रकार स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का विकास किया गया है, उसी गुणवत्ता के साथ इन स्कूलों को भी विकसित किया जाना है।
रायपुर : राज्य सरकार जिला मुख्यालयों में पहले से संचालित शासकीय बहुउद्देशीय (मल्टीपरपज) हायर सेकंडरी स्कूलों को ही स्वामी आत्मानंद हिंदी माध्यम स्कूल के रूप में विकसित करेगी। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला ने सभी कलेक्टरों को पत्र भेजकर एक सप्ताह के भीतर प्रस्ताव मंगाया है। शिक्षक दिवस के दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसकी घोषणा की थी।
प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला की ओर से कलेक्टरों को भेजे पत्र में कहा गया है, प्रत्येक जिला मुख्यालय के शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूल के रूप में विकसित किया जाना है। इन स्कूलों को उत्कृष्ट स्कूलों में विकसित करने के साथ-साथ राष्ट्रभाषा हिन्दी में अध्ययन की उत्तम व्यवस्था हो सके।
कलेक्टर्स को लिखे पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री द्वारा रायपुर के लिए विशेष रूप से तीन स्कूलों, शासकीय जेआर दानी, शासकीय माधवराव सप्रे और शासकीय जेएन पाण्डेय स्कूल को स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम स्कूल के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई है। दूसरे जिलों में भी ऐसे ही स्कूल का चयन कर उसके नवीनीकरण करने की पूरी योजना भी मांगी गई है। कलेक्टर्स से कहा गया है, जिस प्रकार स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का विकास किया गया है, उसी गुणवत्ता के साथ इन स्कूलों को भी विकसित किया जाना है।
बदलना नहीं है भवन का बाहरी स्वरूप
स्कूल शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि नवीनीकरण की प्रक्रिया में स्कूल की मौजूदा इमारत को तोड़ना नहीं है। उसका बाहरी स्वरूप नहीं बदला जाएगा। उसे रीस्टोर करके उसको गरिमामय स्वरूप देना है। इसके लिए किसी आर्किटेक्ट की सेवाएं लेने को भी कहा गया है।
भीतर जुटानी हैं सभी आधुनिक सुविधाएं
प्रमुख सचिव ने कलेक्टर्स से कहा है, स्कूल का बाहरी स्वरूप पुराना ही रहे, लेकिन अंदर शिक्षण की सभी आधुनिक सुविधाएं जुटानी हैं। उसकी सभी प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय और अन्य सामग्री आधुनिक हों। विद्यार्थियों के फर्नीचर, खेल सामग्री, कला सामग्री, कम्प्यूटर लैब आदि में आधुनिकता की कोई कमी न हो।
स्मार्ट सिटी रायपुर के तहत दानी स्कूल में पहले भी काम
रायपुर में जिन तीन स्कूलों को इस योजना के तहत विकसित करने की बात हो रही है, उनको विरासत मानकर स्मार्ट सिटी रायपुर के मद से पहले ही नवीनीकरण का काम चल रहा है। इसमें जेआर दानी स्कूल के पुराने भवन के संरक्षण और नया भवन बनाने की भी योजना है। बताया गया था, इसको 6 करोड़ में ही विकसित करना था।
रायपुर का सबसे पुराना जेएन पाण्डेय स्कूल भी संवरेगा
नलघर चौक प्रो. जयनारायण पाण्डेय शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायपुर का सबसे पुराना स्कूल है। 1864 में यह जिला स्कूल के रूप में स्थापित हुआ। पहले मिडिल स्कूल था। 1884-85 में 9वीं की कक्षा शुरू हुई। तब यह कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्ध था। 1894 में इसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जोड़ा गया। 1926 में सेकंडरी एजुकेशन बोर्ड नागपुर से संबद्धता मिली। 1956 में यह भोपाल बोर्ड का हिस्सा बना। इसका मुख्य भवन 1909 में बना था। 2002 में स्कूल का नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रो. जय नारायण पाण्डेय के नाम पर कर दिया गया। प्रो. पाण्डेय इसी स्कूल के छात्र थे और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने स्कूल भवन पर तिरंगा फहराया था।
नामचीन हस्तियां पढ़ी हैं इस गुरुकुल में
मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठाकुर प्यारेलाल, महंत लक्ष्मीनारायण दास, प्रो. जयनारायण पाण्डेय, माधव राव सप्रे, पूर्व मुख्यमंत्री पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र, जस्टिस हिदायतुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री पं. श्यामाचरण शुक्ल, पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, जस्टिस गणेश प्रसाद भट्ट, बेरिस्टर राजेन्द्र सिंह, शहीद मेजर यशवंत गोरे, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री विजय गुरु।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ रहा है सप्रे स्कूल
साल 1913 में रायपुर नगर पालिका के तत्कालीन अध्यक्ष ठाकुर प्यारेलाल और जिला परिषद के अध्यक्ष पं. रविशंकर शुक्ल की पहल पर सप्रे स्कूल बना था। यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ रहा। सप्रे शाला नाम से प्रसिद्ध इस स्कूल से कई राजनेता और अधिकारी निकले हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. महादेव प्रसाद पाण्डेय, नारायण दास राठौर, काकेश्वर बघेल, लीलाधर जमुने, गोपालप्रसाद यदु, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव रमाशंकर नायक जैसे लोग इस स्कूल में पढ़ चुके हैं।