पाटन की हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी के पहले कुलपति पर है करोड़ों के घपले का आरोप
पाटन की हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी के पहले कुलपति पर है करोड़ों के घपले का आरोप
*पाटन की हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी के पहले कुलपति पर है करोड़ों के घपले का आरोप*
रायपुर। छत्तीसगढ़ के पाटन ब्लॉक में महात्मा गांधी उद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय की शुरूआत की गई है। यहां के प्रथम कुलपति की नियुक्ति राजभवन के आदेश पर डॉ. रमाशंकर कुरील की की गई है। यहां ताज्जुब की बात ये है कि डॉ. कुरील का विवादों से पुराना नाता है। हाल में उन पर 47 करोड़ के घोटाले का आरोप है। उसके बाद भी छत्तीसगढ़ में उनको नई जिम्मेदारी दी जाना सवालों के घेरे आ रहा है।
बता दें कि विवादित डॉ. रमाशंकर कुरील वर्तमान में नोएडा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हार्टिकल्चर टेक्नालॉजी के डायरेक्टर हैं। यहां ये सवाल उठ रहा है कि क्या एक दागदार को छत्तीसगढ़ के नए उद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी दी जाना सही है। क्या देश में और योग्य लोग नहीं हैं।
डॉ. कुरील ने पेंटिंग के नाम पर खर्च किया 1.54 करोड़
बता दें कि जहां वर्तमान में वे हैं वहां की जांच समिति (Investigation Committee) ने अपनी रिपोर्ट (Report) में डॉ. कुरील पर कहा है कि पेंटिंग के नाम पर 1.54 करोड़ का खर्च किये गए, वहीं सड़क की मरम्मत के नाम पर 74 लाख से ज्यादा खर्च होना बताया। जांच करने वाली समिति में विवि के डॉ. ए वदूद, डॉ. आरपी सिंह, एमके गुप्ता और डॉ. एन कुदादा शामिल थे।
उनकी कार्यप्रणाली पर इसलिए उठे सवाल
पहले से विवादों में घिरे रहे रांची बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व प्रभारी कुलपति डॉ. आरएस कुरील पर वहीं एक नया आरोप लगा है। इसलिए विवि में उनके कार्यकाल की वित्तीय समीक्षा के लिए चार सदस्यों की जांच टीम बनाई गई थी। इस टीम ने पाया है कि डॉ. कुरील ने अपने प्रभारी कार्यकाल में संवैधानिक अधिकार से ज्यादा राशि के वित्तीय बिल के भुगतान का आदेश दिया। उनके द्वारा छह महीने में खर्च किए गए 46,96,60,774 रुपये पर जांच समिति ने सवाल उठाए हैं।
एक शब्द का उपयोग कर समिति ने आश्चर्य में डाला
बड़े आश्चर्य की बात यह है कि उन्होंने अपने खर्च में 7.96 करोड़ रुपये को मिसलेनियस में दिखाया है। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में पेंटिंग व सड़क मरम्मत के नाम पर किए खर्च को आई वॉश कहकर संबोधित किया है। इसका अर्थ है आंखों में धूल झोंकने वाला।
इस पर भी है जांच समिति के सवाल
समिति ने अन्य खर्च की जांच के तहत छात्रों के लिए ई बुक और लाइब्रेरी के लिए 40 लाख से ज्यादा खर्च करने पर भी जांच समिति ने संदेह जताया है। डॉ. कुरील के कार्यकाल में 46.58 लाख फर्नीचर पर, कीट प्रबंधन के नाम पर 9.78 लाख, पंप की खरीद के लिए 1.27 करोड़, वर्मी कंपोस्ट और मधुमक्खी पालन के नाम पर 2.70 करोड़, वर्चुअल क्लास के लिए 2.41 करोड़ रुपये खर्च किया गया।
केवल रूटिन वर्क का था अधिकार
बड़ी बात ये है कि प्रभारी कुलपति को राज्य कृषि एक्ट के तहत केवल रूटिन वर्क करने का अधिकार है। वह किसी भी प्रकार से नए और बड़े वित्तीय फैसले नहीं ले सकता है, मगर डॉ. आरएल कुरील ने करोड़ों के कारनामे कर दिए।
इनका कहना है
‘समिति ने जो भी रिपोर्ट दी है, वह कागजों और नियमों को ध्यान में रखकर तैयार की गयी है। अगर नियम से कोई गलत करता है तो वह जांच का विषय है। हमने अपना काम किया है।’
-डॉ. ए वदूद, जांच समिति सदस्य।