नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा सत्र 2023-25 से अब कक्षा 6वीं से बच्चों को पढ़ाया जाएगा वोकेशनल कोर्स, मूर्तियां व कृषि औजार समेत अन्य कार्यों की दी जाएगी ट्रेनिंग
कक्षाओं में अनिवार्य होगा यह कोर्स, बच्चों को भविष्य में रोजगार में मिलेगी मदद, राज्य स्तरीय पाठ्यचर्या के तहत 25 नए शिक्षा के विषय भी बनाए जा रहे, शिक्षाविदों की लेंगे मदद
शिक्षा :नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा सत्र 2023-25 से6वीं कक्षा से बच्चों को वोकेशनल कोर्स पढ़ेंगे। पहले उन्हें वोकेशनल कोर्स का परिचय दिया जाएगा। उन्हें प्रोजेक्ट वर्क भी दिया जाएगा। इससे पढ़ाई के साथ उनका हुनर भी सामने आएगा। इससे वह आगे क्या बनना चाहते हैं और करना चाहते हैं दोनों तय हो सकेगा। वोकेशनल कोर्स के तहत बच्चों को मूर्तियां बनाने, कृषि औजार बनाने, कपड़ों की बुनाई, इलेक्ट्रिशियन, वेल्डिंग आदि समेत अन्य कार्यों के बारे में बताया जाएगा। इससे उनके भीतर छिपी प्रतिभा और नई जानकारियां सामने आ सकेंगी।
राज्य पाठ्यचर्या के तहत बनाया जा रहा नया कोर्स
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अब धरातल में लाने तैयारी चल रही है। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की ओर से राज्य स्तरीय पाठ्यचर्या बनाई जा रही है। इसके तहत 25 नए शिक्षा के विषय बनाए जा रहे हैं। कोर्स बनाने के काम में नोडल अधिकारी, प्रशिक्षण संस्थान, स्कूल और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षाविदों शामिल हैं। एससीईआरटी रायपुर के केके शुक्ला के मार्गदर्शन में पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं।
कोर्स बनाने हर रविवार को होती है ऑनलाइन मीटिंग
राज्य फोकस समूह की सदस्य दुर्ग की व्याख्यात प्रीति जैन ने बताया कि कोर्स बनाने के लिए हर रविवार को सदस्यों की ऑनलाइन मीटिंग होती है। समूह के सदस्य शिक्षक समुदाय और क्षेत्र के संबंध में जानकारी को साझा करते हैं। समीक्षा सत्र में नोडल अधिकारी से मिले मार्गदर्शन के आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जा रही है। पाठ्यचर्या निर्माण के लिए राज्य फोकस समूह के सदस्यों को वर्चुअल प्रशिक्षण दिया गया है।
20 से 30 साल की जरूरत देखकर कोर्स हो रहे तैयार
आने वाले 20 से 30 साल की जरूरत को ध्यान में रखते हुए कोर्स तैयार किया जा रहा है। इसमें आने वाले दिनों में मूल्य और पर्यावरण शिक्षा कैसी हो, ताकि इसका लाभ सभी वर्ग के लोगों को मिल सके। मूल्य और पर्यावरण शिक्षा को मुख्य कोर्स की तरह शामिल किया जा रहा है। इसमें अलग से किताब की जरूरत नहीं होगी। इससे बच्चों की सही रुचि की जानकारी मिल सकेगी और उनका भविष्य तय हो सकेगा।
बदलाव, आवश्यकता और चुनौती के बिंदुओं पर ध्यान
भविष्य में शिक्षा में बदलाव, पाठ्यक्रम की आवश्यकता और चुनौतियों को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। समिति में नवागढ़ की सरिता गुप्ता, राधा वर्मा, पर्यावरणविद डॉ. मंजीत बल, व्याख्याता प्रीति जैन, डाइट की पुष्पा सिंह, बेमेतरा के विकेश कुमार यादव, मटका की मंजू साहू, डॉ. पूनम बिजपुरिया, हेल्पएज इंडिया के किंगसुक साहू, मिताली तालुकदार, धमतरी की परविंदर कौर गिल आदि शामिल हैं।