छत्तीसगढ़ की राजनीति में मुख्यमंत्री को लेकर संशय बरकार,क्या दो गुटों की राजनीति में बंट गया है प्रदेश की राजनीति? अलग अलग गुट के अपने तर्कों के साथ अलग अलग दावे,
छत्तीसगढ़ की राजनीति में मुख्यमंत्री को लेकर संशय बरकार,क्या दो गुटों की राजनीति में बंट गया है प्रदेश की राजनीति? अलग अलग गुट के अपने तर्कों के साथ अलग अलग दावे,
छत्तीसगढ़ की राजनीति :कांग्रेस के हाल के कुछ वर्षों में सत्ता का संघर्ष आम हो गया है ।अभी हाल फिलहाल की बात करे तो शुरवात मध्यप्रदेश से होती है।जहाँ ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जबरदस्त खींचतान हुई पर अंतिम मुहर कमलनाथ के नाम पर लगी इसी के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस के बीच दरार पड़नी चालू हो गई और दरार इतनी गहरी हुई दशकों बाद सत्ता में लोटी कांग्रेस समय से पहले ही गिर गई, ज्योतिरादित्य बीजेपी में शामिल हो गए, यही स्थिति राजस्थान में हुई जब मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद इतना बढ़ा की सचिन पायलट पार्टी को छोड़ तक दिया बाद में प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप से मामला को समय रहते संभाल लिया गया । यही स्थिति अब छत्तीसगढ़ की राजनीति में अब देखने को मिल रही है ।
जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल है तो दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव है ।दबी जुबान में दूसरे खेमा के बड़े नेता ढाई ढाई साल के फार्मूले की बात स्वीकार तो करते है । पर सार्वजनिक मंच पर शीर्ष नेत्रवित्व के आदेश की बात करके संशय की स्थिति निर्मित कर देते है ।
अभी दिल्ली में जो हुआ वो छत्तीसगढ़ की राजनीति में पहली बार हुआ जहाँ पर प्रदेश के लगभग सारे विधायक दिल्ली में समर्थन के लिए पहुचे थे ।
कई चैनलों ने तो टीएस सिहदेव को अगला मुख्यमंत्री ही घोषित कर दिया था, पर अचानक खबर आई राहुल गांधी छत्तीसगढ़ दौरा करेंगे जहाँ कुछ बड़ा फैशला लेगे। तब से अनुमानों का बाजार गर्म है कि अब आगे क्या ।
न्यूज़ नेशनल अपने पाठकों को गुमराह नही करता इसलिए हमने उस दिन ऐसा कोई खबर नही चलाया जिनका नाता वास्तविकता से दूर हो जिससे आप गुमराह न हो,न्यूज़ नेशनल सदैव ही विश्वशनिता पत्रकारिता के सिंद्धान्तों पर चलता आया जिससे पाठको का विश्वास हम पर सदा ही है ।