अपने घर पर बाल्टी में मोती उगाना शुरू किया,अब हर महीने लाखों के कमाई के साथ ही विदेशों में सप्लाई करते हैं
किसान मोती की भी खेती कर रहे हैं
- पहले हम यह सुनते थे कि मोती समुद्रों में सीपो से मिलता है। लेकिन जिस तरह आधुनिकीकरण बढ़ रहा है उस तरह हमारे किसान मोती की भी खेती कर रहे हैं। आज की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताएंगे जो बाल्टी में मोती उगाते हैं और यह इससे लाखों का मुनाफा भी कमा रहे हैं। इनके मोती विदेशों में भी मशहूर है।
65 वर्षीय केजे माथचन केरल से ताल्लुक रखते हैं। वह अपने आंगन में ही बाल्टी में मोती को उगा रहे हैं और इससे वह लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। वह प्रत्येक वर्ष लगभग 50 बाल्टी से भी ज्यादा मोतियों को उगाते हैं। उनके मोती विदेशों में बिकने के लिए जाते हैं जैसे अरब, स्विट्जरलैंड, आस्ट्रेलिया आदि। अपने जॉब के दौरान जब उन्हें जाने का मौका मिला वहां वह मत्स्य अनुसाधन केंद्र में गए। वह हमेशा से हीं मत्स्य पालन क्षेत्र में रुचि रखते थे। उन्होंने इसके बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करनी चाही। इसी दौरान उन्हें पता चला कि वहां मोती उत्पादन कैसे किया जाता है?? इसका डिप्लोमा कोर्स कराया जा रहा है। तब उन्होंने सोंचा कि या कुछ नया है तो मैं इसे क्यों ना ट्राई करुं??
उन्होंने कुछ दिनों के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी ताकि वह डिप्लोमा का कोर्स कर सकें। उन्होंने अपना कोर्स पूरा किया और वर्ष 1999 में तालाब में मोती को उगाना प्रारंभ कर दिया। इस दौरान लोगों ने उन्हें बहुत कुछ कहा फिर भी वह अपने पथ से डिगे नहीं हुए क्योंकि उन्हें अपने आप पर भरोसा था कि उनका यह कारोबार सफलता जरूर हासिल करेगा। आगे उन्होंने महाराष्ट्र और पश्चिमी घाटों की नदियों से सीप को लाया और अपने आंगन में बाल्टियों में उन मोतियों को रख दिया और इस तरह अपने घर से इसकी खेती शुरू की। शुरुआती दौर में उन्हें 1लाख इस कारोबार में लगाएं इससे उन्हें साढ़े 4 लाख रुपये का लाभ मिला।
उन्होंने यह जानकारी दिया कि प्रायः मोती के तीन प्रकार होते हैं। एक होता है संवर्धित दूसरा कृत्रिम और तीसरा प्राकृतिक। यह जो मोतियों को उगाते हैं वह मोती संवर्धित मोती होता है। इसकी खेती बहुत ही आसानी तरीके से की जा सकती है। इसके लिए उन्होंने बताया कि यह नदियों से जो सीप लाते हैं उन्हें बहुत ही ध्यान में रखकर खोलते हैं फिर उन्हें जीवाणु युक्त बर्तन में लगभग 15 से 20 डिग्री तापमान के गर्म पानी में रखते हैं। लगभग 2 वर्षों के करीब में नाभिक, यह जो मोती होता है उसके सीप में कैल्शियम कार्बोनेट इकट्ठा हो जाता है और वह एक मोती के थैले के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इस मोती पर लगभग कोटिंग की 540 परतें उपलब्ध होती है उसके बाद वह एक मोती के रूप में बनकर तैयार होता है।